मेरा परिवार

मैं मेहरान किला हूँ। मेरा इतिहास रॉव जोधा से शुरू हुआ हूँ। मेरा भी परिवार हैं। घंटाघर,सराफा बाजार,त्रिपोलिया,गुलाब सागर,नाथ जी का मठ, मंडोर भेरूजी,उम्मेद सागर,सुरपुरा बांध,सरदार सागर, कायलाना झील, दूर तक मेरे साथ बने राजाओ और ठाकुरो के लिए हवेलिया और गढ़।
  कभी कभी मेरे अंदर माफिलो के दौर चलते थे। दूर दूर से मेरे परिवार अर्थात मेरे रिस्तेदार और नातेदार गाजो बाजो के साथ शिकारों और नाच गानो के साथ मीठी मानवरों और ढोलियो और मांगणियारों के स्वर मेरी अकड़ को और बढ़ा देते थे।
 मैं सोचता कितना खुश नसीब हूँ। मैं जो सबसे ऊपर शान और गुमान का जीती जागती मसाल।
 मेरे साथ और भी मेरे परिवार में जयपुर के किला,उदयपुर, चित्तौड़, कोटा बूंदी,बीकानेर और नागौर तो मेरा ही परिवार का टुकड़ा हैं। जैसलमेर,बाड़मेर,जालोर,सिरोही हो या झालावाड़,भरतपुर, और अन्य सभी मेरे साथ कुछ आगे और कुछ पीछे पैदा हुए थे।
   मैं गवाह हूँ तलवारो की टंकार और रंभेरियो का। मैं गवाह हूँ जब युद्ध मे जाने वाली फौजो को रानिया और छात्राणिया अपने सुहाग को तिलक व आरती करके हाथो में तलवारे और भले पकडती। कुलदेवी और देवताओं की ज्योति से निकाल कर हाथो में पकडती।
मुगलो और दुश्मनो के टुकड़े होते मैन मेरी आँखों से देखे हैं।  आज गरीब और लाचार न्याय के लिए रो रहा हैं। मैने तो आंखों से देखा हैं कि सुबह की पहली किरण के साथ दरबार लगता था और न्याय की गुहार लगाने वालों को न्याय मिलता था। शूली पर चढ़ना और फांसी तो जैसे गुनहगारो की तय होती थी।
मैं अपने उस अतीत को आज भी रात के सन्नाटे में घुटन के साथ याद करता हूँ । कैसा समय था मुझे क्या पता था कि एक ऐसा युग भी आएगा। कि मैं एक दिन सिर्फ जनता के कोतुहल का विषय बंजाउँग।
मुझे असली खुशी नवरात्र के उन 10 दिनों में होती हैं। जब मेरी शक्ति और आस्था का केंद्र माँ चामुंडा के मंदिर में राजपरिवारों से लेकर ठाकुरो और शाही परिवारों के अलावा जोधपुर का परिवार और अन्य जनता का जान सैलाब 10 दिनों तक जयकारो से मेरी भुजाओ अर्थात दीवारों को गूंजने के लिए मजबूर करते हैं। मैं अब बूढा होगया हूँ।लेकिन मुझे नारो की ये गूंजे अच्छी लगती हैं।
मेरा परिवार राजाK साहब गज सिंह व कुँवर शिवराज सिंह,ब्यासा,रानीसा, बहु रानीसा और मेरे परिवार के अन्य सिरदार जब भी मेरे अंदर सभा और जन्म दिन मानते हैं। उस दिन सबसे पहले मैं आशीष देता हूं। मेरे गेट पर अंतिम हाथ लगी सतियो की हथेलियों से लेकर मुख्य गेट के गणपति और मेरा जन्म हो सके इसलिए अपने प्राणों की आहुति और बलिदान देने वाला वीर शिरोमणि राजाराम मेघवाल और अन्य के साथ माँ चामुंडा का मंदिर और देवता की शाल के साथ पूरा मेरा स्वरूप रोशनी में सरोबार और महंगी महंगी लाइटों व फुलझड़ीयो से मेरा रुतबा बढ़ाते हैं।
 मेरे नाम आज भी दुनिया मे महसूर हैं। आज भी देश और दुनिया से मुझे देखने आते हैं। तब मुझे मेरे पिता और परिवार पर घमंड होता हैं। कि मैं रॉव जोधा का बेटा और आज के राजा गज सिंह का पितामाह हूँ।
  मेरा परिवार भी उस समय का गवाह हैं। घंटाघर की घड़ी हो या त्रिपोलिया का बाजार में ऊपर से पूरा नज़ारा सदियों से देख रहा हूँ। हॉट और बाजारों की रौनक को मैं पहाड़ी पर खड़ा सदैव निहारता रहा हूँ।


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