मेरा आसमान

मैं मेहरान गढ़ हूँ। मै मारवाड़ के जोधपुर का अजय किला हूँ। कई योद्धाओ गवाह हूँ। अनगिनत शूरवीरो ने मेरे गर्व को सींचा हैं। न तो मैं कही गया न ही मैने कोई तलवार उठायी न घोड़े की पीठ पर बैठा। लेकिन मेरा गर्व सदैव बना रहा।
 मेरा गर्व आसमान से धरती और जोधपुर शहर की तलहटी हो या रीन का मैदान मैं कई किलोमीटर दूर चारो तरफ दुश्मनो से लड़ते शूरवीरो को आंखों से देखा हैं। घोड़े की टापों और जयकारो को मेरे बुर्जो और पोलो से निकलते और रंभेरियो के साथ शूरवीरो के किसरिया बानो को एक टक बिना पालक झपकाए देखा हैं।
  मेरे आसमान में धरती का सबसे तेज पक्षी बाज अर्थात चील सदैव उड़ान भरती हैं। रात का पहर हो या सुबह का खुला आसमान ये आसमान में उड़ने वाली चिले मेरे मस्तक पर सदैव मंडराती हैं। जो कि मेरे लिए गर्व की बात हैं। मेरे बुर्ज से इन चिलो को गोस्त फेंका जाता हैं। जिसको ये चिले नीचे धरती पर गिरने से पहले ही हवा में अपनी पंजो की पकड़ में ले लेती हैं।
   राठौड़ वंश का निशान चील हैं। सिंह और चील के निशान को राठौड़ वंश सदैव अपना सर्वस्व मानता हैं। मैं भी कितना धन्य हूँ जहा आसमान में चील और मेरा परिवार शेरो का। जैसे ही रात होती थी मैं और चौकना हो जाता था। पोल से लेकर बुर्ज तक रानीवास से लेकर राजा निवास व सम्पूर्ण मेरे अस्तित्व को मैं रात की रखवाली और दुश्मनो से सुरक्षा में लगा देता।
 मैं और मेरी कुलदेवी व माँ भवानी चामुंडा सदैव रक्षा में खड़े रहते। मैं मेहरान गढ़ आज भी अपने परिवार और जोधपुर की शान को बनाये रखने के लिए बुढ़ापे में भी अकड़ कर खड़ा हूँ। ताकि मेरे पिता का नाम आसमान से भी ऊंचा रहे।

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